Bhasha - भाषा की परिभाषा, भेद और विशेषताएं

Hello Friends! Welcome to hindigkonline . यदि आप शुरू से हिंदी व्याकरण सीखना चाहते हैं तो आप सही जगह पर हैं।  यहां आपको एक-एक करके हिंदी व्याकरण के विभिन्न टॉपिक के बारे में बताया गया है। 

Bhasha-  दुनिया में सभी लोग कोई न कोई भाषा बोलते हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इतने लोगों में से बहुत कम लोग जानते हैं कि यह भाषा क्या है? इसलिए आप इस लेख को पूरा पढ़िए। यहां से आप व्याकरण सीखना शुरू कर सकते हैं और क्रम से आगे बढ़ सकते हैं।  आइए समझते हैं कि भाषा किसे कहते है?


भाषा | Bhasha

भाषा शब्द संस्कृत की 'भाष' धातु से बना है।  इस धातु का अर्थ है वाणी की अभिव्यक्ति।

भाषा किसे कहते है | भाषा की परिभाषा
भाषा किसे कहते है | भाषा की परिभाषा

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।  वह समाज के अन्य मनुष्यों के सामने अपने विचार व्यक्त करता है और उनके विचारों को सुनता है और उन विचारों को समझने की कोशिश करता है।  इसके लिए उसे शब्दों का सहारा लेना पड़ता है, उसे शब्दों का निर्माण करना पड़ता है। इसके लिए दुनिया में कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं।


भाषा क्या है ? | Bhasha Kya Hai

इससे स्पष्ट है कि भाषा सामाजिक मनुष्यों के बीच भावनाओं और विचारों के परस्पर आदान-प्रदान का एक सार्थक माध्यम है।


भाषा की परिभाषा | Bhasha Ki Paribhasha In Hindi

शब्दों का वह समूह जिससे हम अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, भाषा कहते है। संसार में अनेक भाषाएं हैं , उदाहरण (bhasha ke udaharan)- हिंदी, उर्दू, फ्रेंच, जर्मन, आदि।


भाषा किसे कहते हैं | Bhasha Kise Kahte Hain

प्राचीन काल से ही भाषा को परिभाषित करने का प्रयास किया जाता रहा है। इसकी कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

(1) 'भाषा' शब्द संस्कृत के 'भाष' धातु से बना है जिसका अर्थ है बोलना या कहना यानी भाषा वह है जो बोली जाती है।

(2) स्वीट के अनुसार, भाषा ध्वन्यात्मक शब्दों के माध्यम से विचारों की अभिव्यक्ति है।

(3) डॉ. मंगल देव शास्त्री - भाषा मनुष्य का प्रयास या पेशा है, जिसमें मनुष्य अपने उच्चारण-उपयोगी शरीर-अंगों से बोले गए वर्णनात्मक या अभिव्यंजक शब्दों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करता है।

(4) ब्लॉक और ट्रेगर- भाषा यादृच्छिक भाष् प्रतीकों की एक प्रणाली है जिसके द्वारा एक सामाजिक समूह सहयोग करता है।

(5) स्त्रुत्वा – भाषा यादृच्छिक भाषा प्रतीकों की एक प्रणाली है जिसके द्वारा एक सामाजिक समूह के सदस्य सहयोग करते हैं और संबंधित होते हैं।


भाषा के कितने भेद होते हैं (Bhasha Ke Bhed)

भाषा के तीन भेद होते हैं- 1. कथित भाषा  2.लिखित भाषा  3.सांकेतिक भाषा .

भाषा जिसे हम बोल कर, लिख कर अथवा संकेत के रूप में अपने विचार को प्रकट करते हैं

1.मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Ki Paribhasha)-

भाषा का जो रूप मुंह से बोला तथा कानों से सुना जाता है वह मौखिक भाषा कहलाती है। इसे कथित भाषा भी कहा जाता है।

उदाहरण (maukhik bhasha ke udaharan)– जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो उनमें विचारों का आदान-प्रदान मौखिक रूप से होता है। या जब आप किसी से मोबाइल पर बात करते हैं तो वहां मौखिक भाषा का प्रयोग होता है।

2.लिखित भाषा (Likhit Bhasha Ki Paribhasha)

भाषा का जो रूप हाथों से लिखा तथा आंखों से देखा और पढ़ा जाता है लिखित भाषा कहलाती है। यही भाषा का वास्तविक रूप है।

लिखित भाषा से ज्ञान का संचय किया जाता है जिससे कोई भी जानकारी को लिखित रूप देकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जा सकता है।

उदाहरण (likhit bhasha ke udaharan)– जब class में अध्यापक बच्चों को पढ़ाते समय अपने विचारों को लिखकर समझाता है तो वह लिखित भाषा का प्रयोग करता है या आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं तो यहां भी लिखित भाषा का ही प्रयोग हुआ है .

3.सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha Ki Paribhasha)-

जिस भाषा में केवल ‘संकेतों अथवा चिन्हों’ का प्रयोग करके दूसरे व्यक्ति को समझाया जाता है, वह सांकेतिक भाषा कहलाती है।

इस भाषा में बिना ध्वनि अंगों के प्रयोग के, शरीर के विभिन्न अंगों (हाथ, चेहरा, गर्दन आदि) के माध्यम से अपने विचारों को एक विशेष संकेतों के रूप में दूसरों को समझाया जाता है।

उदाहरण (sanketik bhasha ke udaharan)– प्राचीन काल में मानव अपने भाव तथा विचारों को प्रकट करने के लिए संकेतों का सहारा लेता था।
जैसे- हाथ के इशारे से आने या जाने का संकेत करना

आज भी हम चौराहे पर खड़े सिपाही या रेलवे गार्ड को देख सकते हैं ,जो अपने निश्चित संकेतों के माध्यम से चलने या रुकने का निर्देश देते हैं किंतु यह हमारे भाव को पूर्णता स्पष्ट नहीं करता। इसलिए भाषा के इस रूप को व्याकरण में मान्यता नहीं दी गई है।

इस प्रकार आप भाषा के इन तीनों प्रकारों को देखें जिससे स्पष्ट हो गया है की भाषा तीन प्रकार की होती है लिखित भाषा, कथित भाषा, सांकेतिक भाषा। चलिये आगे भाषा के विशेषता के बारे में समझते हैं।

भाषा की विशेषताएं (Bhasha Ki Visheshta)

भाषा की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
  • भाषा प्रतीकात्मक है।
  • भाषा ध्वनिमय है।
  • भाषा का संबंध मनुष्य से है।
  • भाषा परिवर्तनशील है।
  • भाषा की क्षेत्रीय सीमा होती है।
  • भाषा सरलता एवं प्रौढ़ता की दिशा में सतत गतिशील होती है।
  • समाज के सांस्कृतिक विकास एवं पतन के साथ भाषा के विकास एवं पतन भी जुड़े होते हैं।

भाषा की प्रकृति (Bhasha Ki Prakriti)

भाषा नदी के जल के समान सदा चलती एवं बहती रहती है। जिस प्रकार से नदी धरातल के अनुसार अपने स्वरूप को ग्रहण करती है, ठीक उसी प्रकार से भाषा भी देश, काल एवं सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप अपना स्वरूप विकास करती है। भाषा के अपने आंतरिक गुड़ या स्वभाव को भाषा की प्रकृति कहते हैं।

  

निष्कर्ष– इस पोस्ट में आपने भाषा, भाषा क्या है, भाषा की परिभाषा, भाषा के भेद, विशेषता तथा प्रकृति पढ़ा।  उम्मीद है आपको यहां दी गई जानकारी पसंद आई होगी।  यदि आपका कोई सवाल है तो मुझे नीचे कमेंट करके बताएं, हम आपको उत्तर जरूर देंगे।

You may like these posts

Join Telegram for more updates click here

Cookies Consent

This website uses cookies to offer you a better Browsing Experience. By using our website, You agree to the use of Cookies

Learn More